बुधवार, 8 फ़रवरी 2017

६.१४ सुख की वृद्धि

स्वधीतस्य सुयुद्धस्य सुकृतस्य च कर्मणः।
तपसश्र्च सुतप्तस्य तस्यान्ते सुखमेधते।।६.१४।।

जो मनुष्य अच्छे तरह से अध्ययन अर्थात् ज्ञान प्राप्त करता है। न्याय के अनुसार युद्ध पुण्यकर्म तथा अच्छी तरह से तपस्या करता है , तो उसके जीवन में अन्त में सुख की वृद्धि होती है।

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