स्वधीतस्य सुयुद्धस्य सुकृतस्य च कर्मणः।
तपसश्र्च सुतप्तस्य तस्यान्ते सुखमेधते।।६.१४।।
जो मनुष्य अच्छे तरह से अध्ययन अर्थात् ज्ञान प्राप्त करता है। न्याय के अनुसार युद्ध पुण्यकर्म तथा अच्छी तरह से तपस्या करता है , तो उसके जीवन में अन्त में सुख की वृद्धि होती है।
तपसश्र्च सुतप्तस्य तस्यान्ते सुखमेधते।।६.१४।।
जो मनुष्य अच्छे तरह से अध्ययन अर्थात् ज्ञान प्राप्त करता है। न्याय के अनुसार युद्ध पुण्यकर्म तथा अच्छी तरह से तपस्या करता है , तो उसके जीवन में अन्त में सुख की वृद्धि होती है।
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