गुरुवार, 5 मई 2016

५.६ ब्रह्म हत्यारे

अगारदाही गरदः कुण्डाशी सोमविक्रयी।
पर्वकारश्र्च सूची च मित्रधुक्पारदारिकः।।५.६.१।।
भ्रूणहा गुरुतल्पी च यश्र्च स्यात्पानपो द्विजः।
अतितीक्ष्णश्र्च काकश्र्च नास्तिको वेदनिन्दकः ।।५.६.२।।
सुवप्रग्रहणो व्रात्यः कीनाशश्र्चात्मावानपि।
रक्षेत्युक्त्तश्र्च  यो हिंस्यात्सर्वे ब्रह्महभिः समाः ।।५.६.३।।

घर में आग लगाने वाला , जहर देकर मारने वाला , जारज पुत्र अर्थात् पाप से उत्पन्न सन्तान की कमाई खाने वाला , सोमरस बेचने वाला , चुगली करने वाला , शस्त्र बेचने वाला , मित्र से शत्रुता रखने वाला , परस्त्री लंपट , गर्भहत्यारा , गुरु की स्त्री के साथ नाजायज़ सम्बन्ध रखने वाला , ब्राह्मण होकर मद्यपान करने वाला , तीक्ष्ण स्वभाव वाला , कौये के समान कांव - कांव करने वाला , ईश्र्वर को न मानने वाला , वेदों की निन्दा करने वाला , पतित , घूसखोर , निर्दयी , शक्त्ति रहते हुए भी प्राणियों के प्रार्थना करने पर भी जो हिंसा करता है - ये सभी मनुष्य ब्रह्म हत्यारे कहे जाते हैं।

५.५ श्रद्धा

मानाग्निहोत्रमुत मानमौनं मानेनाधीतमुख मानयज्ञः।
एतानि चत्वार्यभयंकराणि भयं प्रयच्छन्त्ययथाकृतानि।।५.५।।

हवन -यज्ञ , मौन धारण , स्वयं अध्ययन तथा यज्ञानुष्ठान ये चारों कर्म यदि श्रद्धापूर्वक किये जाए तो व्यक्त्ति के चित्त का डर खत्म हो जाता है।  लेकिन यदि यह ठीक से सम्पन्न न हो तो इनसे डर लगता है।

५.४ इन्हें गवाह मत बनाना

सामुद्रिकं वणिजं चोरपूर्वं शलाकधूर्तं च चिकित्सकं  च।
अरिं च मित्रं च कुशीलवं च नैतान्साक्ष्ये त्वधिकुर्वीत सप्त।।५.४।।

हाथ की रेखाओं को देखने वाला , चोरी किये गये धन से व्यापार करने वाला , जुआ खेलने वाला चिकित्सक , शत्रु , मित्र तथा नर्तक इन सातों को कदापि गवाह नहीं बनाना चाहिये।