बुद्धिश्रेष्ठानि कर्माणि बाहुमध्यानि भारत।
तानि जंघाजघन्यानि भारतप्रत्यवराणि च ।।५.२१।।
हे भरत श्रेष्ठ ! संसार में कर्म चार प्रकार के होते हैं। बुद्धि का प्रयोग कर जो काम किये जाते हैं वे उत्तम होते हैं , शक्त्ति का प्रयोग कर किये जाने वाले कर्म मध्यम श्रेणी के होते हैं , कपटपूर्वक किये जाने वाले कर्म अधम श्रेणी के अन्तर्गत आते हैं और जो कर्म बोझ समझकर यानि जबरदस्ती किये जाते हैं वे महान् अधम श्रेणी के माने जाते हैं।
तानि जंघाजघन्यानि भारतप्रत्यवराणि च ।।५.२१।।
हे भरत श्रेष्ठ ! संसार में कर्म चार प्रकार के होते हैं। बुद्धि का प्रयोग कर जो काम किये जाते हैं वे उत्तम होते हैं , शक्त्ति का प्रयोग कर किये जाने वाले कर्म मध्यम श्रेणी के होते हैं , कपटपूर्वक किये जाने वाले कर्म अधम श्रेणी के अन्तर्गत आते हैं और जो कर्म बोझ समझकर यानि जबरदस्ती किये जाते हैं वे महान् अधम श्रेणी के माने जाते हैं।