जनमेजय उवाच
जब मैंने वेद और पुराण लिखे तब मै चाहता था कि लोग अपनी बुद्धि इस्तेमाल कर के सत्य को ढूढ़ेंगे। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। कुछ लोगों की वजह से सत्य खो गया। इस ब्लॉग पर मैं उन सब बातों को उकेरुंगा जिनकी मैंने असल में व्याक्ख्या की थी।
वेदों और बहुत से ग्रंथों की उत्पत्ति मेक्सिको की माया सभ्यता के उद्गम स्थान पर हुई थी। जिसको मैंने व्यास के रूप में अवतरित होकर उसका विस्तार किया। जब मैं व्यास के रूप में इनको बिना किसी से पूछे लिखा तो लोगों ने इसको एक चमत्कार माना। पर यह चमत्कार नहीं था। मैं उनको अपने आप इसलिए लिख पाया क्योंकि मैंने ही उनकी रचना आज से पाँच हज़ार वर्ष पूर्व मेक्सिको में लिखी थी। मैंने वहीं पर पुराणों कि व्याक्ख्या की जो मेरे शिष्य ने किताबों के रूप में संग्रहित की।
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