गुरुवार, 5 मई 2016

५.५ श्रद्धा

मानाग्निहोत्रमुत मानमौनं मानेनाधीतमुख मानयज्ञः।
एतानि चत्वार्यभयंकराणि भयं प्रयच्छन्त्ययथाकृतानि।।५.५।।

हवन -यज्ञ , मौन धारण , स्वयं अध्ययन तथा यज्ञानुष्ठान ये चारों कर्म यदि श्रद्धापूर्वक किये जाए तो व्यक्त्ति के चित्त का डर खत्म हो जाता है।  लेकिन यदि यह ठीक से सम्पन्न न हो तो इनसे डर लगता है।

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