गुरुवार, 27 अप्रैल 2017

६.१६ भय

सम्पन्नं गोषु सम्भाव्यं सम्भाव्यं ब्राह्मणे तपः।
सम्भाव्यं चापलं स्त्रीषु सम्भाव्यं ज्ञातितो भयम्।।६.१६।।

जिस प्रकार दूध गायों की सम्पत्ति होती है और उसमें दूध होना चाहिये। ब्राह्मणों में तप होना चाहिये ; क्योंकि तपस्या ब्राह्मणों की सम्पत्ति है। स्त्रियों में चंचलता होनी चाहिये। इसी प्रकार मनुष्यों को अपने जाति -बन्धुओं से भय होना चाहिये।

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