शुक्रवार, 9 जून 2017

६.१८ धर्म

ब्राह्मणेषु च ये शूराः स्त्रीषु ज्ञातिषु गोषु च।
वृन्तादिव फलं पक्वं धृतराष्ट्र पतन्ति ते।।६.१८।।

जो व्यक्त्ति ब्राह्मणों , स्त्रियों एवं गायों पर अपनी शक्त्ति का प्रदर्शन कर उन्हें कष्ट पहुँचाते हैं तो वे अपने धर्म से उसी प्रकार नीचे गिर जाते हैं जिस तरह पेड़ की डाल पर से पका हुआ फल नीचे गिर जाता है। 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें