समैर्विवाहं कुरुते न हीनैः समैः सख्यं व्यवहारं कथां च।
गुणैर्विशिष्टांश्र्च पुरो दधाति विपश्र्चितस्यस्य नयाः सुनीताः।।३.३६।।
जो अपने समान लोगों के साथ विवाह , मित्रता , व्यवहार और बातचीत करता है , अपने से हीन पुरुषों के साथ संबंध नहीं रखता और गुणों में सदा बढ़ - चढ़े पुरुषों को आगे रखता है , यह श्रेष्ठ तथा विद्वान पुरुषों का आचरण है।
गुणैर्विशिष्टांश्र्च पुरो दधाति विपश्र्चितस्यस्य नयाः सुनीताः।।३.३६।।
जो अपने समान लोगों के साथ विवाह , मित्रता , व्यवहार और बातचीत करता है , अपने से हीन पुरुषों के साथ संबंध नहीं रखता और गुणों में सदा बढ़ - चढ़े पुरुषों को आगे रखता है , यह श्रेष्ठ तथा विद्वान पुरुषों का आचरण है।
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