गुरुवार, 24 मार्च 2016

३.८ अकेले

एकः स्वादु न भुञ्जीत एकश्र्चार्थान्न चिन्तयेत्।
एको न गच्छेदध्वानं नैकः सुप्तेषु जागृयात्।।३.८।।

व्यक्त्ति को अकेले स्वादिष्ट पदार्थ नहीं खाना चाहिये। हो सकता है किसी ने उस व्यक्त्ति का अहित करने के उद्देश्य से उस खाने में विष मिला दिया हो।  अकेले ही किसी बात पर निर्णय नहीं लेना चाहिये अर्थात् सामूहिक रूप से निर्णय लेना चाहिये।  कभी भी अकेले रास्ते में नहीं जाना चाहिये और बहुत से लोग सो गये हों तो उनके बीच अकेले नहीं जागना चाहिये।  इससे व्यक्त्ति के अनिष्ट होने की संभावना रहती है।

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