सोमवार, 23 मई 2016

५.९ लक्ष्मी

श्रीर्मंगलात्प्रभवति प्राग्ल्भ्यात्सम्प्रवर्धते।
दाक्ष्यात्तु कुरुते मूलं संयमात्प्रतितिष्ठिति।।५.९।।

लक्ष्मी शुभ कर्मों से ही प्राप्त होती है , प्रगल्भता से उसमें वृद्धि होती है , चतुराई से वह अपनी जड़े जमा लेती हैं तथा धैर्य रखने से लक्ष्मी सुरक्षित रहती है।

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