शुक्रवार, 12 अगस्त 2016

६.८ दुष्ट मनुष्य

चलचित्तमनात्मानमिन्द्रियाणां वशानुगम्।
अर्थाः समभिवर्तन्ते हन्साः शुष्कं सरो यथा।।६.८.१।।

अचानक क्रोध करना एवं बिना कारण प्रसन्न होना , दुष्ट लोगों का स्वभाव होता है।  ऐसे लोग सदैव बादल के समान अस्थिर रहते हैं , जो वायु के जरा से झोंके से इधर से उधर उड़ते रहते हैं।

अकस्मादेव कुप्यन्ति प्रसीदन्त्यनिमित्ततः।
शीलमेतदसाधूनामभ्रं पारिपल्वं यथा ।।६.८.२।। 

दुष्ट मनुष्य बादल की तरह अस्थिर होते हैं , वे बिना बात अचानक ही क्रोध करने लगते हैं और बिना कारण ही प्रसन्न हो जाते हैं , जिस प्रकार बादल हवा के जरा सा झोंका से इधर -उधर उड़ते रहते हैं।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें