बुद्धया भयं प्रणुदति तपसा विन्दते महत्।
गुरुशुश्रूषया ज्ञानं शान्तिं योगेन विन्दति।।६.१२।।
इस जगत् में मनुष्य बुद्धि से डर को दूर कर सकता है , तपस्या के द्वारा महत्त्व को प्राप्त कर सकता है , गुरुजनों की सेवा से ज्ञान तथा योग के द्वारा शक्त्ति प्राप्त कर सकता है।
गुरुशुश्रूषया ज्ञानं शान्तिं योगेन विन्दति।।६.१२।।
इस जगत् में मनुष्य बुद्धि से डर को दूर कर सकता है , तपस्या के द्वारा महत्त्व को प्राप्त कर सकता है , गुरुजनों की सेवा से ज्ञान तथा योग के द्वारा शक्त्ति प्राप्त कर सकता है।
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