सोमवार, 28 मार्च 2016

३.११ धरती

द्वाविमौ ग्रसते भूमिः सर्पो विलश्यानिव।
राजानं चाविरोद्धारं ब्राह्मणं चाप्रवासिनम्।।३.११।।

बिल में सोने वाले जन्तुओं को जिस प्रकार सांप खा जाता है , उसी प्रकार यह धरती भी शत्रु का विरोध न करने वाले राजा तथा अन्य देश में रहने वाले ब्राह्मण इन दोनों को खा जाती है अर्थात् वे दोनों नष्ट हो जाते हैं।

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