मंगलवार, 24 मई 2016

५.२१ चार प्रकार के कर्म

बुद्धिश्रेष्ठानि कर्माणि बाहुमध्यानि भारत।
तानि जंघाजघन्यानि भारतप्रत्यवराणि च ।।५.२१।।

हे भरत श्रेष्ठ ! संसार में कर्म चार प्रकार के होते हैं।  बुद्धि का प्रयोग कर जो काम किये जाते हैं वे उत्तम होते हैं , शक्त्ति का प्रयोग कर किये जाने वाले कर्म मध्यम श्रेणी के होते हैं , कपटपूर्वक किये जाने वाले कर्म अधम श्रेणी के अन्तर्गत आते हैं  और जो कर्म बोझ समझकर यानि जबरदस्ती किये जाते हैं वे महान् अधम श्रेणी के माने जाते हैं।

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