मंगलवार, 24 मई 2016

५.१७ प्रशंसा

जीर्णमन्नं प्रशंससन्ति भार्यां च गतयौवनाम्।
शूरं विजितसंग्रामं गतपारं तपस्विनम्।।५.१७।।

जो सज्जन पुरुष होते हैं , वह भोजन के पच जाने पर अन्न की , निष्कलंक यौवन बीत जाने पर स्त्री की , युद्ध में विजय प्राप्त कर लेने के बाद वीर की तथा तत्त्वज्ञान प्राप्त हो जाने पर तपस्वी की प्रशंसा करते हैं।

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