गुरुरात्मवतां शास्ता शास्ता राजा दुरात्मनाम्।
अथ प्रच्छन्नपापानां शास्ता वैवस्वतो यमः।।५.१९।।
जो मनुष्य अपने मन और इन्द्रियों पर विजय प्राप्त कर लेता है , उसको ऐसा करने की शिक्षा देने वाले गुरु कहलाते हैं। दुष्टता करने वाले शिक्षा देने वाले राजा होते हैं तथा गुप्त पाप करने की शिक्षा देने वाले सूर्य का पुत्र यमराज होता है।
अथ प्रच्छन्नपापानां शास्ता वैवस्वतो यमः।।५.१९।।
जो मनुष्य अपने मन और इन्द्रियों पर विजय प्राप्त कर लेता है , उसको ऐसा करने की शिक्षा देने वाले गुरु कहलाते हैं। दुष्टता करने वाले शिक्षा देने वाले राजा होते हैं तथा गुप्त पाप करने की शिक्षा देने वाले सूर्य का पुत्र यमराज होता है।
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