यक्ष उवाच
तपः किं लक्षणं प्रोक्त्तं को दमश्र्च प्रकीर्तितः।
क्षमा च का परा प्रोक्त्ता का च ह्निः परिकीर्तिता।।२.२२.१।।
तप का लक्षण क्या है ?
दम किसको कहते हैं ?
क्षमा किसे कहते हैं ?
लज्जा किसे कहते हैं ?
युधिष्ठिर उवाच
तपः स्वधर्मवर्तित्वं मनसो दमनं दमः।
क्षमा द्वन्द्वसहिष्णुत्वं ह्रीरकार्यनिवर्तनम्।।२.२२.२।।
अपने धर्म में स्थित रहना ही तप है।
अपने चित्त को विषयों से रोकना ही दम है।
सर्दी - गर्मी अर्थात् तेजी तुर्षा इत्यादि को सहन करना ही क्षमा कहलाता है।
जो कार्य नहीं करने योग्य है , उन्हें न करना ही लज्जा है।
तपः किं लक्षणं प्रोक्त्तं को दमश्र्च प्रकीर्तितः।
क्षमा च का परा प्रोक्त्ता का च ह्निः परिकीर्तिता।।२.२२.१।।
तप का लक्षण क्या है ?
दम किसको कहते हैं ?
क्षमा किसे कहते हैं ?
लज्जा किसे कहते हैं ?
युधिष्ठिर उवाच
तपः स्वधर्मवर्तित्वं मनसो दमनं दमः।
क्षमा द्वन्द्वसहिष्णुत्वं ह्रीरकार्यनिवर्तनम्।।२.२२.२।।
अपने धर्म में स्थित रहना ही तप है।
अपने चित्त को विषयों से रोकना ही दम है।
सर्दी - गर्मी अर्थात् तेजी तुर्षा इत्यादि को सहन करना ही क्षमा कहलाता है।
जो कार्य नहीं करने योग्य है , उन्हें न करना ही लज्जा है।
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