सोमवार, 21 मार्च 2016

२.१९ मनुष्य गुण

यक्ष उवाच
केनस्विदावृतो लोकः केनस्विन्न प्रकाशते।
केन त्यजति मित्राणि केन स्वर्गं न गच्छति।।२.१९.१।।

क्या है जिससे व्यक्त्ति आच्छादित अर्थात् ढका रहता है ?
वह क्या है ,जिससे व्यक्त्ति प्रकाशित नहीं होता ?
मनुष्य अपने मित्रों को किस कारणवश छोड़ देता है ?
मनुष्य स्वर्ग में किस कारण नहीं जा पाता है ?

युधिष्ठिर उवाच
अज्ञानेनावृत्तो लोकस्तमसा न प्रकाशते।
लोभात्त्यजति मित्राणि संगात्स्वर्गं न गच्छति।।२.१९.२।।

मनुष्य अज्ञान से ढका  रहता  है।
तमोगुण से मनुष्य प्रकाशमान् नहीं होता है।
मनुष्य अपने लालच के कारण मित्रों को छोड़ देता है।
कुसंगति के कारण मनुष्य स्वर्ग नहीं जा पाता है।

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