यक्ष उवाच
मृतः कथं स्यात्पुरुषः कथं राष्ट्रं मृतं भवेत्।
श्राद्धं मृतं कथं वा स्यात्कथं यज्ञो मृतो भवेत्।।२.२०.१।।
कौन - सा पुरुष मरे हुए के समान होता है ?
कौन - सा देश मरे हुए की भांति होता है ?
नहीं किया हुआ इस तरह का श्राद्ध कौन - सा होता है ?
मृतक अर्थात् नहीं किया जैसा यज्ञ कौन - सा है ?
युधिष्ठिर उवाच
मृतो दरिद्रः पुरुषो मृतं राष्ट्रमराजकम्।
मृतमश्रोत्रियं श्राद्धं मृतो यज्ञस्त्वदक्षिणः।।२.२०.२।।
दरिद्र पुरुष मरे हुए की भांति होता है।
बिना राजा वाला देश मरे हुए की भांति होता है।
वेद पढ़ने वाले ब्राह्मण के बिना श्राद्ध मरे हुए की भांति होता है।
दक्षिणा दिये बिना किया गया यज्ञ मरे हुए की भांति होता है।
मृतः कथं स्यात्पुरुषः कथं राष्ट्रं मृतं भवेत्।
श्राद्धं मृतं कथं वा स्यात्कथं यज्ञो मृतो भवेत्।।२.२०.१।।
कौन - सा पुरुष मरे हुए के समान होता है ?
कौन - सा देश मरे हुए की भांति होता है ?
नहीं किया हुआ इस तरह का श्राद्ध कौन - सा होता है ?
मृतक अर्थात् नहीं किया जैसा यज्ञ कौन - सा है ?
युधिष्ठिर उवाच
मृतो दरिद्रः पुरुषो मृतं राष्ट्रमराजकम्।
मृतमश्रोत्रियं श्राद्धं मृतो यज्ञस्त्वदक्षिणः।।२.२०.२।।
दरिद्र पुरुष मरे हुए की भांति होता है।
बिना राजा वाला देश मरे हुए की भांति होता है।
वेद पढ़ने वाले ब्राह्मण के बिना श्राद्ध मरे हुए की भांति होता है।
दक्षिणा दिये बिना किया गया यज्ञ मरे हुए की भांति होता है।
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