मंगलवार, 22 मार्च 2016

२.२७ ज्ञानी और मुर्ख

यक्ष उवाच
कः पण्डितः पुमांज्ञेयो नास्तिकः कश्र्च उच्यते।
को मूर्खः कश्र्च कामः स्यात्को मत्सर इति स्मृतः।।२.२७.१।।

ज्ञानी पुरुष कौंन होता है ?
ईश्र्वर को न मानने वाला पुरुष कौंन है ?
मुर्ख व्यक्त्ति कौंन होता है ?
काम कौंन है ? मत्सर (ईर्ष्या) कौंन है ?

धर्मज्ञः पण्डितो  ज्ञेयो नास्तिको मुर्ख उच्यते।
कामः संसारहेतुश्र्च हृत्तापो मत्सरः स्मृतः।।२.२७.२।।

धर्म का ज्ञान रखने वाला ही पंडित है।
ईश्र्वर को न मानने वाला ही मुर्ख कहा गया है।
संसार से वासना न खत्म होना ही काम है।
दूसरों की धन - संपत्ति देखकर अपने हृदय में आग उठाना ही मत्सर अर्थात् ईर्ष्या है।

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