शुक्रवार, 22 अप्रैल 2016

५.१ कोमलतपूर्वक व्यवहार

सर्वतीर्थोषु वा स्नानं सर्वभूतेषु चार्जवम्।
उभे त्वेते समे स्यातामार्जवं वा विशिष्यते।।५.१।।

सब तीर्थों में स्नान तथा सभी प्राणियों के संग कोमलतापूर्वक व्यवहार करना - ये दोनों बातें एक समान है।  लेकिन कोमलतापूर्वक व्यवहार करने का महत्त्व तीर्थों में स्नान से अधिक श्रेष्ठ है।

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