शुक्रवार, 22 अप्रैल 2016

४.२७ कटु वचन और निन्दा

आक्रोशपरिवादाभ्यां विहिंसन्त्यबुधा बुधान्।
वक्ता पापमुपादत्ते क्षममाणो विमुच्चते।।४.२७।।

मुर्ख लोग विद्वानों को कठोर बातें बोलकर और उनकी बुराई कर उन्हें दुःख देते हैं। अतः कटु वचन और निन्दा करने वाला व्यक्त्ति सदा पाप का भागी होता है। जो इनको सहकर क्षमा कर देता है , वह पाप से मुक्त्त हो जाता है।

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