अनसूयार्जवं शौचं सन्तोषं प्रियवादिता।
दमः सत्यमनायांसो न भवन्ति दुरात्मनाम्।।४.२६.१।।
दूसरों के गुणों में दोष न खोजना , कोमल हृदय , पवित्रता , संतोष , मधुर वाणी , इन्द्रियदमन , सत्य बोलना तथा स्थिरता , ये सभी गुण दुर्जनों में कभी नहीं होते हैं।
आत्मज्ञानमनायासस्तितिक्षा धर्मनित्यता।
वाक् चैव गुप्ता दानं च नैतान्यन्त्येषु भारत।।४.२६.२।।
हे राजन् ! आत्मज्ञान, स्थिरता , धर्म - परायणता , सहनशीलता , वचन की रक्षा तथा दान आदि ये सभी गुण अधम पुरुषों में नहीं होते हैं।
दमः सत्यमनायांसो न भवन्ति दुरात्मनाम्।।४.२६.१।।
दूसरों के गुणों में दोष न खोजना , कोमल हृदय , पवित्रता , संतोष , मधुर वाणी , इन्द्रियदमन , सत्य बोलना तथा स्थिरता , ये सभी गुण दुर्जनों में कभी नहीं होते हैं।
आत्मज्ञानमनायासस्तितिक्षा धर्मनित्यता।
वाक् चैव गुप्ता दानं च नैतान्यन्त्येषु भारत।।४.२६.२।।
हे राजन् ! आत्मज्ञान, स्थिरता , धर्म - परायणता , सहनशीलता , वचन की रक्षा तथा दान आदि ये सभी गुण अधम पुरुषों में नहीं होते हैं।
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