शुक्रवार, 22 अप्रैल 2016

५.२ गलत निर्णय और असत्य भाषण

या रात्रिमधिविन्ना स्त्री यां चैवाक्षपराजितः।
यां च भाराभितप्तांगोदुर्विवक्ता स्म तां वसेत्।।५.२.१।।

सौतन के साथ पति के घर में रहने वाली स्त्री , जुए में हारे हुए जुआरी की और बोझा ढोने से थके हुए शरीर वाले व्यक्त्ति की रात्रि में जो दशा होती है , वही दशा गलत न्याय करने वाले को भी होती है।

नगरे प्रतिरुद्धः सन् बहिद्वारे बुभुक्षितः।
अमित्रान्भूयसः पश्येद्यः साक्ष्यमनृतं वदेत् ।।५.२.२।।

जो गलत निर्णय देता है , वह नगर में बंद होकर भूख से व्याकुल होता हुआ , द्वार के बाहर बहुत से शत्रुओं को देखता है।

पञ्च पश्र्वनृते हन्ति दश हन्ति गवानृते।
शतमश्र्वानृते हन्ति सहस्त्रं पृरुषानृते ।।५.२.३।।

पशु के लिये असत्य बोलने वाले पाँच पीढ़ियों को , गौ के लिये असत्य बोलने वाले दस पीढ़ियों की , घोड़े के लिए असत्य बोलने वाले सौ पीढ़ियों को और मनुष्य के लिये असत्य भाषण करने वाले मनुष्य एक हजार पीढ़ियों को नरक में धकेल देते हैं।

हन्ति जातानजातांश्र्च हिण्यार्थेऽनृतं वदन्।
सर्वं भूम्यनृते हन्ति मा स्म भूम्यनृतं वदेः ।।५.२.४।।  

सोने के लिये असत्य भाषण करने वाला , भूत और भविष्य सभी पीढ़ियों को नरक में धकेल देता है। धरती और नारी के लिये असत्य कहने वाला व्यक्त्ति तो अपना ही विनाश कर डालता है।  इसलिये आप पृथ्वी अथवा नारी के लिये कभी भी असत्य मत बोलना।

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