नवद्वारमिदं वेश्म त्रिस्थूणं पञ्चसाक्षिकम।
क्षेत्रज्ञाधिष्ठितं विद्वान् यो वेद स परः कविः।।३.२३।।
जो विद्वान् पुरुष ( दो आँखें , दो कान , दो नासाछिद्र , मुंह , मूत्रद्वार तथा मलद्वार ) नौ द्वार वाले ( वात , पित्त और कफरूपी ) तीन खम्भों वाले (शब्द , स्पर्श , रूप , रस और गन्धरूपी ज्ञानेन्द्रियों ) पाँच साक्षी वाले आत्मा के निवास स्थान इस शरीररूपी घर को जानता है। वह बहुत बड़ा ज्ञानी होता है।
क्षेत्रज्ञाधिष्ठितं विद्वान् यो वेद स परः कविः।।३.२३।।
जो विद्वान् पुरुष ( दो आँखें , दो कान , दो नासाछिद्र , मुंह , मूत्रद्वार तथा मलद्वार ) नौ द्वार वाले ( वात , पित्त और कफरूपी ) तीन खम्भों वाले (शब्द , स्पर्श , रूप , रस और गन्धरूपी ज्ञानेन्द्रियों ) पाँच साक्षी वाले आत्मा के निवास स्थान इस शरीररूपी घर को जानता है। वह बहुत बड़ा ज्ञानी होता है।
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