गुरुवार, 31 मार्च 2016

३.२६ विश्र्वास और दण्ड

जानाति विश्र्वासयितुं मनुष्यान् विज्ञातदोषेषु दधाति दण्डम्।
जानाति मात्रां च तथा क्षमां च तं तादृशं श्रीर्जुषते समग्रा।।३.२६।।

जो व्यक्त्तियों को विश्र्वास कराना जानता है , जो अपराधी है , उसे ही दण्ड देता है।  जो दण्ड की मात्रा और क्षमा का उपयोग जानता है।  ऐसे राजा की सेवा में सब प्रकार के धन और सम्पत्तियां न्यौछावर रहती हैं।

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