गुरुवार, 31 मार्च 2016

३.२४ दस प्रकार के लोग धर्म को न जानने वाले

दस धर्म न जानन्ति धृतराष्ट्र निबोध तान्।
मत्तः प्रमत्तः उन्मत्तः श्रान्तः कुद्धो बुभुक्षितः।।३.२४.१.१।।
त्वरमांणश्र्च लुब्धश्र्च भीतः कामी च ते दश।
तस्मादेतेषु सर्वेषु न प्रसज्जेत् पण्डितः ।।३.२४.१.२।।

हे धृतराष्ट्र ! ये दस प्रकार के लोग धर्म को नहीं जानते।  ये इस प्रकार हैं - नशे में धुत व्यक्त्ति , असावधान व्यक्त्ति , पागल , यात्रा से थका हुआ , क्रोधी , भूख से व्याकुल , जल्दबाज , लोभ , भयभीत तथा कामवासना में लिप्त।  अतः विद्वान् पुरुष को चाहिये कि वे इस दस प्रकार के लोगों के साथ आसक्त्ति न रखे।

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