रविवार, 20 मार्च 2016

२.५ यज्ञ

यक्ष उवाच
किमेकं यज्ञियं साम किमेकं यज्ञियं यजुः।
का चैषां वृणुते यज्ञं कां यज्ञो नातिवर्तते।।५.१।।

यज्ञ सम्बन्धी सामवेद क्या है ?
यज्ञ सम्बन्धी यजुर्वेद क्या है ?
वेदों में यज्ञ को कौन स्वीकार करता है ?
यज्ञ का उल्लंघन करने से किसको प्रयोग में नहीं लाते ?

युधिष्ठिर उवाच
प्राणो वै यज्ञियं साम मनो वै यज्ञियं यजुः।
ऋगेका वृणुते यज्ञं यज्ञो नतिवर्तते।।५.२।।

एक प्राण है , जो यज्ञ संबंधी साम है।
मन ही यज्ञ संबंधी यजुर्वेद है।
एक ऋक् ही यज्ञ को स्वीकारता है।
यज्ञ ही उसको उल्लंघन करके प्रयोग में नहीं लाते हैं।



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