यक्ष उवाच
किं ब्राह्मणानां देवत्वं कश्र्च धर्मः सतामिव।
कश्र्चैषां मानुषो भावः किमषामसतामिव।।३.१।।
ब्राह्मणों में देवत्व क्या है ?
उनका श्रेष्ठ धर्म कौन - सा है ?
उनका मानुष भाव क्या है ?
उनका असत् आचरण कौन - सा है ?
युधिष्ठिर उवाच
स्वाध्याय एषां देवत्वं तप एषां सतामिव।
मरणं मानुषो भावः परिवादोऽसतामिव।।३.२।।
वेदों का अध्ययन ब्राह्मणों का देवत्व है।
तप करना ही इनका सच्चा धर्म माना गया है।
मृत्यु को प्राप्त होना ही इनका मानुष भाव है।
बुराई निकालना ही इनका बुरा अर्थात् असत् आचरण है।
किं ब्राह्मणानां देवत्वं कश्र्च धर्मः सतामिव।
कश्र्चैषां मानुषो भावः किमषामसतामिव।।३.१।।
ब्राह्मणों में देवत्व क्या है ?
उनका श्रेष्ठ धर्म कौन - सा है ?
उनका मानुष भाव क्या है ?
उनका असत् आचरण कौन - सा है ?
युधिष्ठिर उवाच
स्वाध्याय एषां देवत्वं तप एषां सतामिव।
मरणं मानुषो भावः परिवादोऽसतामिव।।३.२।।
वेदों का अध्ययन ब्राह्मणों का देवत्व है।
तप करना ही इनका सच्चा धर्म माना गया है।
मृत्यु को प्राप्त होना ही इनका मानुष भाव है।
बुराई निकालना ही इनका बुरा अर्थात् असत् आचरण है।
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