रविवार, 20 मार्च 2016

२.१४ मनुष्य

यक्ष उवाच
किंस्विदात्मा मनुष्यस्य किंस्विद्दैवकृतः सखा ।
उपज्जीवनं किंस्विदस्य किंस्विदस्य परायणम् ।।२.१४.१।।

मनुष्य की आत्मा कौन होता है ?
दैव का किया हुआ व्यक्त्ति का मित्र कौन होता है ?
व्यक्त्ति का उपजीवन कौन है ?
मनुष्य का पालनकर्त्ता कौन है ?

 युधिष्ठिर उवाच
पुत्र आत्मा मनुष्यस्य भार्या दैवकृतः सखा।
उपजीवनं च पर्जन्यो दानमस्य परायणम्।।२.१४.१।।

पुत्र ही मनुष्य की आत्मा होता है।
दैव का किया हुआ मनुष्य का मित्र नारी है।
मनुष्य का उपजीवन बादल होता है।
दान ही व्यक्त्ति का पालनकर्त्ता होता है।

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