यक्ष उवाच
कोऽतिथिः सर्वभूतानां किंस्विद्धर्मं सनातनम्।
अमृतं किंस्विद्राजेन्द्र किंस्वित्सर्वमिदं जगत्।।२.११.१।।
सभी जीवों का मेहमान कौन है ?
प्राचीन काल का सनातन धर्म क्या है ?
अमृत क्या है ?
सम्पूर्ण संसार में कौन फैला हुआ है ?
युधिष्ठिर उवाच
अतिथिः सर्वभूतानामग्निः सोमो गवामृतम्।
सनातनोऽमृतो धर्मो वायुः सर्वमिदं जगत्।।२.११.२।।
सभी जीवों की अतिथि या पूजनीय अग्नि है।
गौ की रक्षा ही सनातन धर्म है।
गौ का दुग्ध ही अमृत है।
सम्पूर्ण संसार में हवा फैली हुई है।
कोऽतिथिः सर्वभूतानां किंस्विद्धर्मं सनातनम्।
अमृतं किंस्विद्राजेन्द्र किंस्वित्सर्वमिदं जगत्।।२.११.१।।
सभी जीवों का मेहमान कौन है ?
प्राचीन काल का सनातन धर्म क्या है ?
अमृत क्या है ?
सम्पूर्ण संसार में कौन फैला हुआ है ?
युधिष्ठिर उवाच
अतिथिः सर्वभूतानामग्निः सोमो गवामृतम्।
सनातनोऽमृतो धर्मो वायुः सर्वमिदं जगत्।।२.११.२।।
सभी जीवों की अतिथि या पूजनीय अग्नि है।
गौ की रक्षा ही सनातन धर्म है।
गौ का दुग्ध ही अमृत है।
सम्पूर्ण संसार में हवा फैली हुई है।
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