रविवार, 20 मार्च 2016

२.६ श्रेष्ठफल

यक्ष उवाच
किंस्विदावपतां श्रेष्ठं किंस्विन्निर्वपतां वरम्।
किंस्वित्प्रतिष्ठमानानां किंस्वित्प्रसवतां वरम्।।६.१।।

देवताओं को संतुष्ट करने वाले के श्रेष्ठफल क्या है ?
पितरों को संतुष्ट करने वालों का फल क्या है ?
प्रतिष्ठा प्राप्त करने की इच्छा रखने वालों का उत्तम फल क्या है ?
उत्तम संतान की इच्छा रखने वालों का उत्तम फल क्या है ?

युधिष्ठिर उवाच
वर्षाभावपतां श्रेष्ठं बीजं निर्वपतां वरम्।
गावः प्रतिष्ठमानानां पुत्रः प्रसवतां वरः।।६.२।।

देवताओं को संतुष्ट करने वालों हेतु श्रेष्ठ फल वृष्टि है।
पितरों को संतुष्ट करने वालों को बीज अर्थात् क्षेत्र , आरामदायक जीवन , संतति इत्यादि श्रेष्ठ फल है।
प्रतिष्ठा की कामना रखने वालों का श्रेष्ठ फल गाय है।
संतान चाहने वालों का श्रेष्ठ फल पुत्र है।

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