रविवार, 20 मार्च 2016

२.१३ प्रमुख स्थान

यक्ष उवाच
किंस्विदेकपदं धर्म्यं किंस्विदेकपदं यशः।
किंस्विदेकपदं  स्वर्ग्यं किंस्विदेकपदं सुखम्।।२.१३.१।।

धर्म का प्रमुख स्थान कौन-सा है ?
यश का प्रमुख स्थान कौन-सा है ?
स्वर्ग का प्रमुख स्थान कौन-सा है ?
सुख प्राप्त करने का प्रमुख स्थान कौन-सा है ?

युधिष्ठिर उवाच
दाक्ष्यमेकपदं धर्म्यं दानमेकपदं यशः।
सत्यमेकपदं स्वर्ग्यं शीलमेकपदं सुखम्।।२.१३.२।।

धर्म का मुख्य स्थान दक्षता अर्थात् चतुरता है।
यश प्राप्ति का मुख्य द्वार दान है।
स्वर्ग प्राप्ति का मुख्य द्वार सत्य है।
सुख पाने का मुख्य स्थान शील है।

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