गुरुवार, 21 अप्रैल 2016

४.१५ मद

विद्यामदो धनमदस्तृतीयोऽभिजनो मदः।
मदा एतेऽवलिप्तानामेत एव सतां दमाः।।४.१५।।

एक मद (नशा ) विद्या है , दूसरा मद धन है , तीसरा मद ऊँचा कुल में जन्मा होने का  है।  घमंडी व्यक्त्तियों के लिये यह सब एक मद है लेकिन सज्जनों के लिये ये तीनों दम हैं अर्थात् सज्जन विद्वान् व्यक्त्ति इन सबका अभिमान नहीं करते।

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