पर्जन्यनाथाः पशवो राजानो मन्त्रिबान्धवाः।
पतयो बान्धवा स्त्रीणां ब्राह्मणा वेदबान्धवाः।।४.१२.१।।
पशुओं की रक्षा बादल करते हैं अर्थात् वह बरसकर उनके लिये भोजन पैदा करते हैं। राजाओं की रक्षा उनके मंत्री करते हैं , स्त्रियों के रक्षक उनके पति होते हैं , और ब्राह्मणों के बांधव वेद हैं ; क्योंकि वेदों का ज्ञान उनका रक्षक होता है। उसी के सहारे वह जीवित रहते हैं।
सत्येन रक्ष्यते धर्मो विद्या योगेन रक्ष्यते।
मृजया रक्ष्यते रूपं कुलं वृत्तेन रक्ष्यते ।।४.१२.२।।
सत्य वचन से धर्म की रक्षा होती है। अभ्यास करने से विद्या की रक्षा होती है। नहीं तो व्यक्त्ति सब कुछ भूल जाता है। साफ - सफाई से सुन्दर रूप की रक्षा होती है तथा सदाचार से कुल की रक्षा होती है।
मानेन रक्ष्यते धान्यमश्र्वान् रक्षत्यनुक्रमः।
अभीक्ष्णदर्शनं गाश्र्च स्त्रियो रक्ष्याः कुचैलतः ।।४.१२.३।।
तौल से खर्च करने से धान्य की रक्षा होती है। फेरने से घोड़ों की रक्षा होती है। बार -बार देख -रेख करते रहने से गायों की रक्षा होती है और मैले कपड़ों से स्त्रियों की रक्षा होती है ; क्योंकि कपड़े मैले रहने से उन पर कोई बुरी दृष्टि नहीं डालता है।
पतयो बान्धवा स्त्रीणां ब्राह्मणा वेदबान्धवाः।।४.१२.१।।
पशुओं की रक्षा बादल करते हैं अर्थात् वह बरसकर उनके लिये भोजन पैदा करते हैं। राजाओं की रक्षा उनके मंत्री करते हैं , स्त्रियों के रक्षक उनके पति होते हैं , और ब्राह्मणों के बांधव वेद हैं ; क्योंकि वेदों का ज्ञान उनका रक्षक होता है। उसी के सहारे वह जीवित रहते हैं।
सत्येन रक्ष्यते धर्मो विद्या योगेन रक्ष्यते।
मृजया रक्ष्यते रूपं कुलं वृत्तेन रक्ष्यते ।।४.१२.२।।
सत्य वचन से धर्म की रक्षा होती है। अभ्यास करने से विद्या की रक्षा होती है। नहीं तो व्यक्त्ति सब कुछ भूल जाता है। साफ - सफाई से सुन्दर रूप की रक्षा होती है तथा सदाचार से कुल की रक्षा होती है।
मानेन रक्ष्यते धान्यमश्र्वान् रक्षत्यनुक्रमः।
अभीक्ष्णदर्शनं गाश्र्च स्त्रियो रक्ष्याः कुचैलतः ।।४.१२.३।।
तौल से खर्च करने से धान्य की रक्षा होती है। फेरने से घोड़ों की रक्षा होती है। बार -बार देख -रेख करते रहने से गायों की रक्षा होती है और मैले कपड़ों से स्त्रियों की रक्षा होती है ; क्योंकि कपड़े मैले रहने से उन पर कोई बुरी दृष्टि नहीं डालता है।
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